अज़ाबे दौर मिटाओ तो कोई बात बने
दिलों में प्यार जगाओ तो कोई बात बने
तुम्हारा चाँद सा चहरा सुकून देता है
नक़ाब रुख से उठाओ तो कोई बात बने
उदास रात है तन्हाई है अन्धेरा है
चरागे फ़िक्र जलाओ तो कोई बात बने
करार दिल को जो दे रूह को सुकूँ बख्शे
गज़ल इक ऐसी सुनाओ तो कोई बात बने
सुनाने आये हैं सब हाले दिल अनिल तुमको
दुखों को अपने छुपाओ तो कोई बात बने
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