शिकार
बहुत देर से घात लगाये बैठी छिपकली ने आखिर टिड्डे को अपने मजबूत जबड़े में दबा ही लिया. फिर इत्मिनान से उसे निगल कर नया शिकार खोजने लगी. उसे पता ही नहीं चला की एक नौ इंच लम्बे कनखजूरे ने उसके गले के नीचे दंश मारा और इत्मिनान से उसे खाने लगा. भर पेट भोजन करने के बाद अपने ठिकाने की ओर रवाना हुआ ही था की एक विशाल मेंढक ने उसे चुटकिओं में निगल लिया. मेंढक के मुंह का स्वाद अभी ख़त्म भी नहीं हुआ था की वह एक सांप के मुंह में फंस चुका था. निगले हुए मेंढक को पचाने में शिथिल पड़े सांप के सर पर एक बड़े पक्षी की चोंच की ठोकर पड़ी और सांप उस पक्षी का आहार बन गया. वह पक्षी एक बहेलिये के तीर का निशाना बन कर जमीन पर लोट पोट हो गया . तभी झाड़ों में छिपे बाघ ने बहेलिये पर हमला कर उसे अपना शिकर बना लिया. कुछ दिनों बाद जंगल में कुछ शिकारी आये और उन्होंने घेरा डाल कर बाघ को जंगल और जीवन से मुक्त कर दिया. जब शिकारियों ने बाघ को मारा तब उनके पेट भरे हुए थे. यह चक्र सदियों से चल रहा है.
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