माँ
तुम्हारी
बहुत याद आती है
जब/ दोपहर को / आग उगलते
सूरज के सामने
आ जाता है
कोई बादल का टुकड़ा
माँ
तुम्हारी
बहुत याद आती है
जब/ गर्मी के मौसम के बाद
पहली बरसात के साथ
माटी की सौंधी महक लिए
ठंडी हवा/ तपते बदन को सहलाती है
माँ
तुम्हारी
बहुत याद आती है
जब
देखता हूँ
चूजे के मुंह में
दाना डालते हुए
किसी चिड़िया को
तब/ बहुत याद आती है तुम्हारी
माँ
तुम्हारी
बहुत याद आती है
जब
रात की तन्हाई में
कोई सदाबहार गीत
देने लगता है थपकियाँ
मुंदने लगती हैं आँखें ...