कीजिये बात दिल लुभाने की
प्यार के गीत गुनगुनाने की
चन्द लम्हे मिले हैं जी लें हम
छेड़ कुछ बात मुस्कुराने की
मैं समझता हूँ तेरी मजबूरी
कुछ ज़रुरत नहीं बहाने की
इश्क़ किस कश्मकश में लाया है
हम सुने दिल की या ज़माने की
जाँ बदन से निकल गई जैसे
बात निकली जो उसके जाने की
दिल है शीशे का तू न कर कोशिश
प्यार में दिल को आजमाने की
ज़िक्रे उल्फ़त 'अनिल' ने छेड़ा तो
बात की उसने आबो दाने की
(परिधि 2011)
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