EARTH IS BEAUTIFUL
EARTH IS VERY BEAUTIFUL
Save the air, save the water, save the animals, save the plants.
These are necessary to save human being.
Save the art, save the culture, save the language.
These are necessary to the rise of human being.
Sunday, March 20, 2011
Wednesday, March 9, 2011
आसमान भर धूप
धागा लेकर भाव का, गूंथे शब्द विचार .
गांठ कल्पना की लगा , बना लिया है हार .
पेट पीठ से लग गया , आँखों में हैं प्रान
ऐसे में कैसे रहे , पाप- पुन्य का ध्यान.
किसने मुझको क्या दिया,सबका रखूँ हिसाब.
मैंने किसको क्या दिया , इस का नहीं जवाब .
मर्यादा को तोड़ कर , जब कर डाली भूल.
माथे पर चढने लगी, तब पैरों की धूल.
मैली चादर ओढ़ कर , सर पर बांधी पाग .
बैठे –बैठे गिन रहे , इक दूजे के दाग .
ज्यों का त्यों कैसे रखे , कोई अपना रूप .
मुठ्ठी भर छाया यहाँ , आसमान भर धूप.
भरे हुए खलिहान में , लगी हुयी है आग .
उसे बुझाने की जगह , लोग रहे हैं भाग .
बोली अपनी भूल कर , सभी हो गए मूक .
चला शिकारी हाथ में , लेकर जब बन्दूक .
सम्बन्धों पर जब चढा , खुदगर्जी का रंग .
पौधा सूखा प्रेम का , मुरझाये सब अंग .
खुशिओं का बाज़ार है , पर ऊंचे हैं दाम .
भाव – ताव में हो गयी , इस जीवन की शाम
हम से तो बच्चे भले , हैं आँखों के नूर .
छुपते माँ की गोद में , दुःख हो जाते दूर .
कुदरत ने क्या खूब दी , बच्चों को सौगात .
फूलों सा चहरा दिया , दी फूलों सी बात.
अनिल कुमार जैन
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