देखी नहीं तो आज मेरे साथ चल के देख
दुनिया बड़ी अजीब है, घर से निकल के देख
निकला है तू बदलने को, दुनिया का रंगो रूप
खुद अपने आप को तो ज़रा सा बदल के देख
इक बार देख अपने गरेबां में झाँक कर
औरों की ख़ामियों को न इतना उछल के देख
तुझ पर भी जाँ लुटाने को परवाने आयेंगे
तू भी तो बनके शमअ ऐ फ़रोज़ाँ, पिघल के देख
शिकवा न कर ज़माने की रफ़्तार का 'अनिल'
सांचे में इस ज़माने के तू भी तो ढल के देख
दुनिया बड़ी अजीब है, घर से निकल के देख
निकला है तू बदलने को, दुनिया का रंगो रूप
खुद अपने आप को तो ज़रा सा बदल के देख
इक बार देख अपने गरेबां में झाँक कर
औरों की ख़ामियों को न इतना उछल के देख
तुझ पर भी जाँ लुटाने को परवाने आयेंगे
तू भी तो बनके शमअ ऐ फ़रोज़ाँ, पिघल के देख
शिकवा न कर ज़माने की रफ़्तार का 'अनिल'
सांचे में इस ज़माने के तू भी तो ढल के देख
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